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Agarwal Girl
View Album Age : 26 years
Height : 4' 10"
Gender : Female
Religion : Hindu
Caste : Hindu: Aggarwal
Mother tongue : Hindi/U.P./Awadhi/ Bhojpuri/Garhwali
Gotra : tantas
Marital Status: Never Married
Posted By : Sibling
Education : M.Sc
Occupation : Not working
Location : Ghaziabad, India
Annual Income : No Income
Resident status : Citizen
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Goel Girl
Age : 26 years
Height : 4' 10"
Gender : Female
Religion : Hindu
Caste : Hindu: Aggarwal
Mother tongue : Hindi/U.P./Awadhi/ Bhojpuri/Garhwali
Gotra : tantas
Marital Status: Never Married
Posted By : Sibling
Education : M.Sc
Occupation : Not working
Location : Ghaziabad, India
Annual Income : No Income
Resident status : Citizen
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Soft Spoken Agarwal girl
Age : 26 years
Height : 4' 10"
Gender : Female
Religion : Hindu
Caste : Hindu: Aggarwal
Mother tongue : Hindi/U.P./Awadhi/ Bhojpuri/Garhwali
Gotra : tantas
Marital Status: Never Married
Posted By : Sibling
Education : M.Sc
Occupation : Not working
Location : Ghaziabad, India
Annual Income : No Income
Resident status : Citizen
She is a soft spoken girl, a mixture of modernity seeped in family values.She belongs to a respectable family & brought up to uphold hindu traditional values.
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Maheswari
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How to win friends and influence people (Page 1)
संशोधित संस्करण की प्रस्तावनाहाऊ टू विन फ्रैंड्स एंड इंफ्लूएंस पीपुल का पहला संस्करण 1937 में छपा। इसकी केवल पांच हजार प्रतियां छापी गईं। न तो डेल कारनेगी को, न ही प्रकाशकों साइमन एंड शुस्टर को उम्मीद थी कि इस पुस्तक की इससे ज्यादाद प्रतियां बिकेंगी। उन्हें बहुत हैरानी हुई जब यह पुस्तक रातों रात लोकप्रिय हो गई और जनता ने इसकी इतनी मांग की कि इसके एक के बाद एक संस्करण छापने पड़े। हाऊ टू विन फ्रैंड्स एंड इंफ्लूएंस पीपुल पुस्तकों के इतिहास में सर्वकालिक अंतर्राष्ट्रीय बेस्टसेलर बन चुकी है। हम यह नहीं कह सकते कि इसकी लोकप्रियता का कारण यह था कि उस समय मंदी का दौर खत्म ही हुआ था। दरअसल इसने जनमानस की ऐसी नस को छुआ है, ऐसी इंसानी जरूरत को पूरा किया है कि यह आधी सदी बाद भी लगातार बिक रही है।
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How to win friends and influence people (Page 2)
अब हम तार्किक प्रशन पर आते हैं: ऐसी पुस्तक को रिवाइज करने की क्या जरूरत थी जो इतनी लोकप्रिय और शाशवत महत्व की है? सफलता के साथ छेड़छाड़ क्यों?
इसका जवाब जानने के लिए हमें एक एहसास होना चाहिए कि डेल कारनेगी स्वंय जीवनभर अपनी पुस्तकों को रिवाइज करते रहे। हाऊ टू विन फ्रैंड्स एंड इंफ्लूएंस पीपुल एक पाठ्यपुस्तक के रूप में लिखी गई थी, इफेक्टिव स्पीकिंग एंड ह्यूमन रिलेशन्स के कोर्सेज की पाठ्यपुस्तक के रूप में। यह पुस्तक आज भी इसी रूप में प्रयुक्त हो रही है। 1955 में अपनी मृत्यु तक वे लगातार कोर्स को सुधारते और रिवाइज करते रहे ताकि बदलती हुई दुनिया की बदलती हुई जरूरत का बेहतर ध्यान रखा जा सके। वर्तमान दुनिया के बदलते हुए स्वरूप से डेल कारनेगी से ज्यादा संवेदनशील कोई नहीं था। उन्होंने अपने शिक्षा देने के तरीकों को भी लगातार सुधारा। उन्होंने इफेक्टिव स्पीकिंग की अपनी पुस्तक को भी कई बार अपडेट किया। अगर वे कुछ समय और जीवित रहते तो उन्होंने खुद ही हाऊ टू विन फ्रैंड्स एंड इंफ्लूएंस पीपुल को रिवाइज किया होता ताकि बदलती दुनिया में अधिक प्रासंगिक हो सके।
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How to win friends and influence people (Page 3)
यह पुस्तक कैसे और क्यों लिखी गई: डेल कारनेगीबीसबीं सदी के शुरूआती पैंतीस सालों में अमेरिका में दो लाख से भी अधिक किताबें छपीं। उनमें से ज्यादातर बेजान और नीरस थीं और बिक्री के लिहाज से भी उनमें कई घाटे का सौदा थीं। मैने क्या कहा, “कई?” एक बड़े प्रकाशन समूह के प्रेसिडेंट ने यह स्वीकार किया कि हालांकि उनकी कंपनी को प्रकाशन का पचहत्तर वर्षों का अनुभव है, फिर भी कंपनी को आठ में से सात किताबों में घाटा उठाना पड़ता है।
सवाल यह है कि यह जानने के बाद भी मैं यह किताब लिखने की जुर्रत कर रहा हूं। और अगर मैं ऐसा कर रहा हूं, तो आप इसे पढ़ने का कष्ट क्यों करें?
दोनों ही सवाल बाजिब हैं, और मैं इन दोनों का जवाब देने की कोशिश करूंगा।
1912 से मैं न्यूयॉर्क में बिजनेस से जुड़े व्यक्तियों और प्रोफेश्नल लोगों के लिए अपना शैक्षणिक पाठ्यक्रम चला रहा हूं। शुरूआत में तो मैं सिर्फ लोगों को सार्वजनिक रूप से बोलने की कला सिखाता था। ऐसे कोर्स जिनका लक्ष्य था वयस्क लोगों के दिल से बोलने का डर दूर करना, उनमें इतना आत्मविश्वास पैदा करना कि वे अपने पैरों पर खड़े होकर ज्यादा स्पष्ट तरीके से अपने विचार व्यक्त कर सकें, चाहे वे बिजनेस इंटरव्यू में बोल रहे हों या समुह में चर्चा कर रहे हों।
परंतु कुछ समय बाद मुछे यह महसुस हुआ कि न सिर्फ प्रभावी ढंग से बोलने की कला महत्वपूर्ण है बल्किलोगों के लिए यह भी महत्वपूर्ण है कि वे रोजमर्रा के बिजनेस और सामाजिक जी5वन में लोगों के साथ किस तरह से व्यवहार करें।
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How to win friends and influence people (Page 4)
अगर आप बिजनेस में हैं तो लोंगो को प्रभावित करना शायद आपकी सबसे बड़ी चुनौती होगी। अगर आप गृहणी या वास्तुविद या इंजीनियर हैं तो भी आप लोगों को प्रभावित करना चाहते होंगे। कुछ साल पहले कारनेगी फाउंडेशन फॉर द एडवांस्मेंट ऑफ टीचिंग के तत्वाधान में एक रिसर्च की गई। इससे एक बेहद महत्वपूर्ण तथ्य पता चला – एक ऐसा तथ्य जिसे कारनेगी इंस्ट्यूट ऑफ टेकनॉलजी में हुए अतिरिक्त अध्यनों ने सही ठहराया। इस शोध से पता चला कि किसी की आर्थिक सफलता के केवल15 प्रतिशत ही उसके व्यवहार की कला पर निर्भर करता है, जबकि उसकी सफलता का 85 प्रतिशत उसके व्यवहार की कला पर निर्भर करता है, यानी उसका व्यक्तित्व और लोगों का नेतृत्व करने की उसकी कला उसे 85 प्रतिशत सफलता दिलवाती है।
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How to win friends and influence people (Page 5)
अपने सबसे सफल दौर में जॉन डी. रॉकफालर ने कहा था, “लोगों से व्यबहार करने की कला भी उसी तरह खरीदी जाने वाली एक वस्तु है जैसे कि शक्कर या कॉफी।“ जॉन डी. ने यह भी कहा था, “ और मैं इस कला के लिए दूनिया की किसी भी चीज से ज्यादा कीमत देने के लिए तैयार हूं।”
क्या आपको नहीं लगता कि जो कला दुनिया की किसी भी चीज से ज्यादा कीमती है, उसे सीखने के लिए दुनिया के हर कॉलेज में कोर्स होने चाहिए? परंतु मैंने तो आज तक ऐसे किसी कोर्स या कॉलेज का नाम ही नहीं सुना।
युनिवर्सिटी ऑफ शिकागो और युनाइटेड वाय एम सीए स्कूल ने एक सर्वे कराया जिसमें लोगों से यह पूछा गया था कि वे क्या सीखना चाहते हैं।
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